उत्तर - हिन्दुओं द्वारा परमात्मा को भूलकर पीर, फकीर, साई की पूजा की जा रही है, पिशाच संस्कृति के राक्षसों को हिंदू मंदिरों व घरों में स्थापित किया जा रहा है, पूजा जा रहा है, फिर भी पूछते हो कि विनाश काले विपरीत पूजा क्या है?
कब्र या मजार मरे हुए आदमी की होती है | हिंदू समाज में अगर कोई व्यक्ति मरने वाले के पीछे चार कदम भी रखता है तो उसे घर आकर स्नान करना पडता है| फिर हम मजार पर चढ़ा हुआ प्रसाद बच्चों को क्यों खिलाते है? क्या वह अपवित्र नहीं है?
सभी कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजों से लड़ते हुए मारे गए थे, इस हालत में उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या हमारे उन वीर पूर्वजों का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा करते हुए खुशी- खुशी अपने प्राणों को बलि वेदी पर समर्पित कर दिया था?
बहराइच उत्तर प्रदेश में गाजी मियाँ की मजार है जिसको पूजने के लिए देश के कोने कोने से हिंदू आते है|
इतिहास का थोडा सा भी जानकार व्यक्ति जानता है कि महमूद गजनवी के उत्तर भारत को बुरी तरह से लूटने बर्बाद करने के बाद सन् 1030 में उसके भांजे सालार गाजी ने भारत को दारूल इस्लाम बनाने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया| सिन्ध, पंजाब, हरियाणा को रौंदता हुआ उत्तर प्रदेश के बहराइच तक जा पहुँचा|
रास्ते में लाखों हिंदुओं का कत्लेआम किया, लाखो हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया और लाखों हिंदू ओरतों के बलात्कार हुए, हजारों मंदिरों- गुरुकुलों का विध्वंस कर दिया गया तथा इस्लाम के जिहाद की आंधी तेज चलने लगी|
ऐसे संकट के समय में बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने गाजी मियाँ की सेना का सामना किया जिसमें सालार गाजी मारा गया|
सलाह गाजी के सेनापति ने वही उसकी कब्र बनवा दी| आज हिंदू उसे अपने कुल देवता मानकर पूजते है| अगर गाजी जिंदा रहता तो वह हिंदुओं का ओर कत्लेआम करता|
क्या हिन्दुओं के ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण, दुर्गा अथवा तैंतीस कोटि देवी- देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं, क्या उनमें एक भी ऐसा देवता नहीं जिसे हमारे मूर्त हिन्दू अपना देवता मान सकें| हिन्दुओं के लिए शव (कब्र) पूजा का अर्थ है प्रेत योनि की दुर्गति| किसी भी शव की पूजा उसे पूजने वाले की कभी सदगति नहीं हो सकती|
हिंदू समाज को इन मजार, कब्रों, पीरों की पूजा बंद करनी चाहिए|
उस परमपिता परमेश्वर की पूजा करनी चाहिए जो सभी के दिलों में बसता है|
धन्यवाद 👏
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