शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

जीवन संगिनी - धर्म पत्नी की विदाई ....

अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है।  राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया।  आपकी सुविधा असुविधा आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है।  तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है।  आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है।  चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ।  ये ऐसा है और वो ऐसा है।  कब अक्कल आएगी तुम्हे? ऐसे ताने मारते हो।

    उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है।  वरना दुनिया में आपको कोई भी  नहीं पूछेगा।  अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें:

    एक दिन पत्नी अचानक  रात को गुजर जाती है !

    घर में रोने की आवाज आ रही है।  पत्नी का अंतिम दर्शन चल रहा था।

उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन:

में अभी जा रही हूँ अब फिर कभी नहीं मिलेंगे

तो मैं जा रही हूँ।

जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जियेंगे ऐसा वचन दिया था पर इस तरह अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझ को पता नहीं था।

मुझे जाने दो।

    अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ।  

बहुत दर्द हो रहा है मुझे।

लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नही मान रहा पर अब में कुछ नहीं कर सकती।

मुझे जाने दो।

    बेटा और बहु रो रहे है देखो। 

    मैं ऐसा नहीं देख सकती और उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। पोता  बा  बा बा कर रहा है उसे शांत करो, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे है।  हाँ और आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न हों।

मुझे जाने दो।

    अभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत  शरीर देखकर बहुत रोएगी तब उसे संभालना और शांत करना। और आपभी  बिल्कुल नही रोना।

मुझे जाने दो।

    जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। धीरे धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम मे डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत  जल्दी से डाल देना।

मुझे जाने दो।

    आप ने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना है। अब जिद्द छोड़कर वयवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूं।

मुझे जाने दो।

    आपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मिठा नही कहना अन्यथा परेशानी होगी।  

सुबह उठते ही तो दवा लेना न भूलना। चाय अगर आपको देर से मिलती है तो बहु पर गुस्सा न करना। अब में नहीं हूं यह समझ कर जीना सीख लेना।

मुझे जाने दो।

    बेटा और बहू कुछ बोले तो

चुपचाप सब सुन लेना। कभी गुस्सा नही करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नही होना। 

मुझे जाने दो।

    अपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों  के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जिएं ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आये  चुपचाप रो लेना लेकिन कभी कमजोर नही होना।

मुझे जाने दो।

    मेरा रूमाल कहां है, मेरी चाबी कहां है अब ऐसे चिल्लाना नही। सब कुछ ध्यान से रखने और याद रखने की आदत करना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहु भूल जाय तो सामने से याद कर लेना। जो भी खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना।

मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।

मुझे जाने दो।

    बुढ़ापे की छड़ी भूलना नही और  धीरे धीरे से चलना।

यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा  करना पसंद नहीं आएगा।

मुझे जाने दो।

    शाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना।  प्यास लगे तभी पानी पी लेना।

अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नही उसका ध्यान रखना।

मुझे जाने दो।

    शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नही मिलेगी।

मुझे जाने दो।

    उठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल देना किसी की प्रतीक्षा नही करना।

मुझे जाने दो।

    और हाँ .... एक बात तुमसे छिपाई है मुझे माफ कर देना।

आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किये है। मेरी दादी ने सिखाया था। एक एक रुपया जमा कर के कोने में रख दिया। इसमें से पाँच पाँच लाख बहु और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना आपके लिए।

मुझे जाने दो।

    भगवान की भक्ति और पूजा करना भूलना नही। अब  फिर कभी नहीं मिलेंगे !!

मुझसे कोई भी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना।


मुझे जाने दो

मुझे जाने दो

🙏🙏

रविवार, 4 अक्तूबर 2020

👉 आसक्ति

प्रभु को यदि पाना है तो सब आसक्तियों को छोड़कर निर्वैर हो जाओ।

    भक्ति रसामृत सिंधु में आता है कि कामना ही राक्षसी है, ये जानता हुआ भक्त भगवान् या  भगवान् की भक्ति के अलावा और कोई भी कामना नहीं करता।  प्रभु को यदि पाना है तो सब आसक्तियों व कामनाओं को छोड़कर निर्वैर हो जाओ, प्रभु शीघ्र मिल जायेंगे। 

    जिसे एक गिलास पानी की भी आवश्यकता न हो, और न ही किसी से बात करने या बोलने की अपेक्षा हो, वो भक्त शान्त और निर्भय हो जाता है।  जैसे वर्षा पड़ने पर घास स्वतः उत्पन्न हो जाती है, उसी तरह आसक्तियों व कामनाओं को छोड़ने पर चारों ओर फिर प्रभु ही दिखाई देंगे। बिना आसक्ति छोड़े भगवद् भजन नहीं होता। 

    आसक्ति की रस्सी दिखाई नहीं देती है, परन्तु वह इतनी लम्बी होती है कि उसकी कोई सीमा नहीं है। आप अमेरिका में बैठे हैं, और आसक्ति की रस्सी वहीं से बाँधकर आपको ले आयेगी।  साधक को अपनी वृत्तियों को बचाकर रखना चाहिए।  यदि वृत्तियाँ  बँट गयीं तो साधक लुट जायेगा।  वृत्तियों के बँटने के बाद कुछ भी जप, तप व पाठ आदि करते रहो, कुछ नहीं मिलने वाला।  अपनी वृत्तियों को सब जगह से हटाकर एक श्री कृष्ण में लगा दो। जब तक कहीं भी आसक्ति है, चाहे थोड़ी ही क्यों न हो, तब तक वहाँ श्री कृष्ण प्रेम नहीं होता है।  

    प्रेम की उत्पत्ति तब ही होती है, जब जीव सब आसक्तियों को छोड़ देता है। इसलिए गोपियों ने श्री कृष्ण से कहा था कि हम सब कुछ छोड़कर तुम्हारे पास आयीं हैं। अपनी सब आसक्तियों को छोड़कर आयीं हैं। क्यों छोड़कर आयीं हैं ? तुम्हारी उपासना की आशा से। 


मैवं विभो अहर्ति.....   भजते मुमुक्षून्||  श्रीमद्भागवत 10-29-31

देवहूति जी ने कहा-

संगो  य:  संसृते..... .... कल्पते||   श्रीमद्भागवत 03-23-55

    आसक्ति बहुत ख़राब है, परन्तु आसक्ति से अच्छी वस्तु भी कोई नहीं। यदि आसक्ति महापुरुषों में हो जाय तो निश्चित कल्याण हो जाता है। यदि ये आसक्ति संसार से नहीं छूटती है तो इसको महापुरुषों से बाँध दो। तुम्हारा अवश्य कल्याण हो जायेगा। 

प्यार में ये सब कहाँ तक सही है...????



लड़के ने नम्बर मांगा आप ने दे दिया... 

लड़के ने तस्वीर मांगी आप ने दे दी...

लड़के ने वीडियो कॉल के लिए कहा आप ने कर ली...

लड़के ने दुपट्टा हटाने को कहा आप ने हटा दिया...

लड़के ने कुछ देखने की ख्वाहिश की आप ने पूरी कर दी...
लड़के ने मिलने को कहा आप माँ बाप को धोखा देकर आशिक़ से मिलने पहुंच गयीं...

लड़के ने बाग में बैठ कर आप की तारीफ़ करते हुए आपको सरसब्ज़ बाग दिखाए आपने देख लिये...
फिर जूस कार्नर पर जूस पीते वक़्त लड़के ने हाथ लगाया, इशारे किये, मगर कोई बात नहीं अब नया ज़माना है यह सब तो चलता ही है...
फिर लड़के ने होटल में कमरा लेने की बात की, आप ने शर्माते हुए इंकार कर दिया, कि शादी से पहले यह सब अच्छा तो नहीं लगता न...
फिर दो तीन बार कहने पर आप तैयार हो गयीं होटल के कमरे में जाने के लिए...

आप दोनों ने मिल कर खूब एंजॉय किया...
अंडरस्टेंडिंग के नाम पर दुल्हा दुल्हन बन गए बस बच्चा पैदा न हो इस पर ध्यान दिया...
फिर एक दिन झगड़ा हुआ और सब खत्म क्योंकि हराम रिश्तों का अंजाम कुछ ऐसा ही होता है...

लेकिन लेकिन...
यहां सरासर मर्द गलत नहीं है, वह भेड़िया है, वह मुजरिम है, वह सबकुछ है...
क्योंकि आप ने तो तस्वीर नहीं दी थी वह जबर्दस्ती आपके मोबाइल में घुस कर ले गया था...
आप ने तो अपना नम्बर नहीं दिया वह लड़का खुद आप के मोबाइल से नम्बर ले गया था...
आप ने तो वीडियो कॉल नहीं की वह लड़का खुद आप के घर पहुंच गया था आपको लाइव देखने...
जूस कार्नर पर भी जबरदस्ती ले गया था गन प्वाइंट पर...
होटल के कमरे तक भी वह आपको जबर्दस्ती आपके घर से ले गया था...

तो मुजरिम तो सिर्फ लड़का है आप तो बिल्कुल भी नहीं...
बच्ची हैं आप कोई चार साल की?
आपको समझ नहीं आती?

यह कचरे में पड़ी लाशें देख कर भी आपको अक़्ल नहीं आती?
यह बिना सर के मिलने वाले धड़ आपकी अक़्ल पर कोई चोट नहीं देते?
यह सोशल मीडिया पर आए दिन ज़्यादती के बढ़ती हुई घटना आपको कुछ नहीं बताती?
जूस कार्नर पर जाना, अपनी नंगी तस्वीर किसी गैर आदमी या लड़के को देना...
आपको नहीं पता था कि एक होटल के कमरे में या चारदीवारी में जिस्मों की प्यास बुझाई जाती है, 
सब पता था आपको, सब पता है आपको...
होटल के कमरे में मुहब्बत के अफसाने नहीं लिखे जाते,वहां कोई इबादत नही होती है

फिर शिकायत होती है के चार लड़कों ने ग्रुप रेप कर दिया... 
क्या लगता है वह आपका जो आपकी इज्ज़त का ख्याल रखे जो खुद आपको इसी मकसद के लिए लेकर जा रहा है?

अपनी सीमा में रहेंगी तो आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता...
जिस्म के भूखो से दूर ही रहे लड़का हो या लड़की जब तक तुम साथ नही दोगी तब तक किसी लड़के की कोई औकात नही हैं कि वो तुम्हे किसी होटल के रूम तक ले जा सके।

🙏🙏🙏

शनिवार, 3 अक्तूबर 2020

माँ का पल्लू ....

मुझे नहीं लगता कि आज के बच्चे यह जानते होगे  कि पल्लू क्या होता है, 

इसका कारण यह है 

कि आजकल की माताएं अब साड़ी नहीं पहनती हैं।

 पल्लू बीते समय की बातें हो चुकी है।

माँ के पल्लू का सिद्धांत माँ को गरिमा मयी छवि प्रदान प्रदान करने के लिए था। लेकिन इसके साथ ही, यह गरम बर्तन को चूल्हा से  हटाते समय गरम बर्तन को पकड़ने के काम भी आता था।

पल्लू की बात ही निराली थी। पल्लू पर कितना ही लिखा जा सकता है।

साथ ही पल्लू बच्चों का पसीना / आँसू पूछने, गंदे कानों/मुंह की सफाई के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था। माँ इसको अपना हाथ तौलिया के रूप में भी इस्तेमाल का लेती थी। खाना खाने के बाद पल्लू से मुंह साफ करने का अपना ही आनंद होता था।

कभी आँख मे दर्द होने पर माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर, फूँक मारकर, गरम करके आँख में लगा देतीं थी, सभी दर्द उसी समय गायब हो जाता था।

माँ की गोद मे सोने वाले बच्चों के लिए उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू चादर का काम करता था।

जब भी कोई अंजान घर पर आता, तो उसको, माँ के पल्लू की ओट ले कर देखते था। जब भी बच्चे को किसी बात पर शर्म आती, वो पल्लू से अपना मुंह ढक कर छुप जाता था।

और जब बच्चों को बाहर जाना होता, तब माँ का पल्लू  एक मार्गदर्शक का काम करता था। जब तक  बच्चे ने हाथ मे  थाम रखा होता, तो सारी कायनात उसकी मुट्ठी में होती।

और जब मौसम ठंडा होता था,  मां उसको अपने चारो और लपेट कर ठंड से बचने की कोशिश करती।

पल्लू एप्रन का काम भी करता था। पल्लू का उपयोग पेड़ों से गिरने वाले जामुन और मीठे सुगंधित फूलों को लाने के लिए किया जाता था। पल्लू घर मे रखे समान  से धूल हटाने मे भी बहुत सहायक होता था।

पल्लू मे गांठ लगा कर माँ एक चलता फिरता बैंक या तिजोरी  रखती थी और अगर सब कुछ ठीक रहा तो कभी कभी उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे।

मुझे नहीं लगता की विज्ञान इतनी तरक्की करने के बाद भी पल्लू का विकल्प ढूंढ पाया है।

पल्लू कुछ और नहीं बल्कि एक जादुई एहसास है। में पुरानी पीढ़ी से संबंध रखता हूं और अपनी माँ के प्यार और स्नेह को हमेशा महसूस करते हैं, जो कि आज की पीढ़ियों की समझ से शायद गायब है।


 👉 सभी विकसित, बहादुर और सुन्दर महिला शक्ति को समर्पित 🙏🙏


गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

एक सोच बदलाव की . . . . .

काली कमाई के रास्ते खत्म कर दिए जाएँ, नोट बंदी की जरूरत ही क्यों होगी ?


मैं एक डॉक्टर हूं, और इस लिए


" सभी ईमानदार डॉक्टर्स से क्षमा सहित प्रार्थना ...! "


• ........हार्ट अटैक " हो गया ...

डॉक्टर कहता है -  Streptokinase इंजेक्शन ले के आओ ... 9,000/= रु का ... इंजेक्शन की असली कीमत 700/= - 900/= रु के बीच है .., पर उसपे MRP 9,000/= का है ! आप क्या करेंगे?


•..............टाइफाइड हो गया ...

डॉक्टर ने लिख दिया - कुल 14 Monocef लगेंगे ! होल - सेल दाम 25/= रु है ... अस्पताल का केमिस्ट आपको 53/= रु में देता है ... आप क्या करेंगे ??

•............,,,किडनी फेल हो गयी है .., हर तीसरे दिन Dialysis होता है .., Dialysis के बाद एक इंजेक्शन लगता है - MRP शायद 1800 रु है ! 

इंजेक्शन की असली कीमत 500/= है , पर डॉक्टर अपने अस्पताल में MRP पे यानि 1,800/= में देता है ... आप क्या करेंगे ??

..........इन्फेक्शन हो गया है .., 

डॉक्टर ने जो Antibiotic लिखी , वो 540/= रु का एक पत्ता है .., वही Salt किसी दूसरी कम्पनी का 150/= का है और जेनेरिक 45/= रु का ... पर केमिस्ट आपको मना कर देता है .., नहीं जेनेरिक हम रखते ही नहीं , दूसरी कम्पनी की देंगे नहीं .., वही देंगे , जो डॉक्टर साहब ने लिखी है ... यानी 540/= वाली ? आप क्या करेंगे ??

• बाज़ार में Ultrasound Test 750/= रु में होता है .., चैरिटेबल डिस्पेंसरी 240/= रु में करती है ! 750/= में डॉक्टर का कमीशन 300/= रु है !

MRI में डॉक्टर का कमीशन Rs. 2,000/= से 3,000/= के बीच है !

डॉक्टर और अस्पतालों की ये लूट , ये नंगा नाच , बेधड़क , बेखौफ्फ़ देश में चल रहा है !

Pharmaceutical कम्पनियों की Lobby इतनी मज़बूत है, की उसने देश को सीधे - सीधे बंधक बना रखा है !

डॉक्टर्स और दवा कम्पनियां मिली हुई हैं! दोनों मिल के सरकार को ब्लैकमेल करते हैं ...!!

सबसे बडा यक्ष प्रश्न ...

मीडिया दिन रात क्या दिखाता है?


गड्ढे में गिरा प्रिंस .., बिना ड्राईवर की कार, राखी सावंत, Bigboss, सास बहू और साज़िश, सावधान, क्राइम रिपोर्ट, Cricketer की Girl Friend, ये सब दिखाता है, किंतु ... Doctor's, Hospital's और Pharmaceutical company कम्पनियों की, ये खुली लूट क्यों नहीं दिखाता?

मीडिया नहीं दिखाएगा, तो कौन दिखाएगा?

मेडिकल Lobby की दादागिरी कैसे रुकेगी?

इस Lobby ने सरकार को लाचार कर रखा है?

Media क्यों चुप है?

20/= रु मांगने पर ऑटोरिक्सा वाले को, तो आप कालर पकड़ के मारेंगे, ..!

डॉक्टर साहब का क्या करेंगे???

यदि आपको ये सत्य लगता है, तो कर दो फ़ॉरवर्ड, सब को! जागरूकता लाइए और दूसरों को भी जागरूक बनाने में अपना सहयोग दीजिये !!!

The Makers of Ideal Society 

एक सोच बदलाव की . . . . .

👉 एक हृदयस्पर्शी घटना

सुबह सूर्योदय हुआ ही था कि एक वयोवृद्ध सज्जन डॉक्टर के दरवाजे पर आकर घंटी बजाने लगा।सुबह-सुबह कौन आ गया? कहते हुए डॉक्टर की पत्नी ने दरवाजा खोला। वृद्ध को देखते ही डॉक्टर की पत्नी ने कहा, दादा आज इतनी सुबह? क्या परेशानी हो गयी आपको?

    वयोवृद्ध ने कहा अपने अंगूठे के टांके कटवाने आया हूं, डॉक्टर साहब के पास। मुझे 9 बजे दूसरी जगह पहुंचना होता है, इसलिए जल्दी आया। सॉरी डॉक्टर साहब।

    कोई बात नहीं दादा, बैठो। दिखाओ अपना अंगूठा। डॉक्टर ने पूरे ध्यान से अंगूठे के टांके खोले और कहा कि दादा बहुत बढ़िया है। आपका घाव भर गया है।फिर भी मैं पट्टी लगा देता हूं कि कहीं,चोंट न पहुंचे। डाक्टर तो बहुत होते हैं परंतु यह डॉक्टर बहुत हमदर्दी रखने वाले और दयालु प्रवर्ति के थे।

    डॉक्टर ने पट्टी बांधने के बाद पूछा – दादा आपको 9 बजे कहां पहुंचना पड़ता है। आपको देर हो गई हो तो मैं चलकर आपको छोड़ आता हूं ।

    वृद्ध ने कहा नहीं नहीं ,डॉक्टर साहब, अभी तो मैं घर जाऊंगा, नाश्ता तैयार करूंगा, फिर निकलूंगा और करीब 9 बजे पहुंच जाऊंगा। उन्होंने डॉक्टर का आभार माना और जाने के लिए खड़े हुए । पैसे लेकर के उपचार करने वाले तो बहुत डॉक्टर होते हैं परंतु दिल से उपचार करने वाले कम ही होते हैं।

    दादा खड़े हुए तभी डॉक्टर की पत्नी ने आकर कहा कि दादा नाश्ता यहीं कर लो। वृद्ध ने कहा, ना बहन। मैं तो यहां नाश्ता कर लेता परंतु उसको नाश्ता कौन कराएगा? डॉक्टर ने पूछा किस को नाश्ता कराना है?

    वृद्ध ने कहा कि मेरी पत्नी को । वह कहां रहती है और 9 बजे आपको उसके यहां कहां पहुंचना है? वृद्ध ने कहा, डॉक्टर साहब वह तो मेरे बिना रहती ही नहीं थी, परंतु अब वो अस्वस्थ है तो नर्सिंग होम में एडमिट है। डॉक्टर ने पूछा, उनको क्या तकलीफ है?

    वृद्ध व्यक्ति ने कहा, मेरी पत्नी को अल्जाइमर हो गया है, उसकी याददाश्त चली गई है। पिछले 5 साल से वह मेरे को पहचानती नहीं है। मैं नर्सिंग होम में जाता हूं, उसको नाश्ता खिलाता हूं तो वह फटी फ़टी आंख से शून्य नेत्रों से मुझे देखती है। मैं उसके लिए अनजाना हो गया हूं। ऐसा कहते कहते वृद्ध की आंखों में आंसू आ गए।

    डॉक्टर और उसकी पत्नी की आंखें भी नम हो गई। याद रखें प्रेम निस्वार्थ होता है। प्रेम सब के दिल मे होता है परंतु “एक पक्षिय प्रेम” यह दुर्लभ है, पर होता है। कबीर ने लिखा है, “प्रेम ना बाड़ी उपजे प्रेम न हाट बिकाय।

    डॉक्टर और उसकी पत्नी ने कहा, दादा 5 साल से आप रोज नर्सिंग होम में उनको नाश्ता कराने जाते हो? इतने वृद्ध हो आप,थकते नहीं हो, ऊबते नहीं हो?

    उन्होंने कहा कि मैं तीन बार जाता हूं। डॉक्टर साहब, उसने जिंदगी में मेरी बहुत सेवा की और आज मैं उसके सहारे जिंदगी जी रहा हूं। उसको देखता हूं तो मेरा मन भर आता है। मैं उसके पास बैठता हूं तो मुझ में शक्ति आ जाती है। अगर वह न होती तो अभी तक मैं भी बिस्तर पकड़ लेता लेकिन उसको ठीक करना है , उसकी संभालना है, इसलिए मुझ में रोज ताकत आ जाती है। उसके कारण ही मुझ में इतनी फुर्ती है। सुबह उठता हूं तो तैयार होकर के काम में लग जाता हूं। ये भाव रहता है कि उससे मिलने जाना है, उसके साथ नाश्ता करना है, उसको नाश्ता कराना है। उसके साथ नाश्ता करने का आनंद ही अलग है। मैं अपने हाथ से उसको नाश्ता खिलाता हूं।

    डॉक्टर ने कहा, दादा एक बात पूछूं? ‘पूछो ना’ डॉक्टर साहब। डॉक्टर ने कहा, दादा वह तो आपको पहचानती तक नहीं। न आपसे बोलती भी है, न हंसती है तब भी तुम मिलने जाते हो।

    तब उस समय वृद्ध ने जो शब्द कहे वो शब्द दुनिया में सबसे अधिक हृदयस्पर्शी और मार्मिक हैं। वृद्ध बोले,

डॉक्टर साहब वह नहीं जानती कि मैं कौन हूं, पर मैं तो जानता हूं ना कि वह कौन है। इतना कहते कहते हैं वृद्ध की आंखों से पानी की धारा बहने लगी।

    डॉक्टर और उनकी पत्नी की भी आंखें भी भर आई और सोचा कि पारिवारिक जीवन में ‘स्वार्थ’ अभिशाप है और ‘प्रेम’ आशीर्वाद।

प्रेम कम होता है तभी परिवार टूटता है।

👉 एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई

🏳️ध्यान से पढ़ियेगा👇      〰️〰️〰️〰️〰️ एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि  ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म...