दूसरों के दुर्गुण देखने की बजाय स्वयं का निरिक्षण ही सही है। आत्मिक उन्नति का यही एक उपाय है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
!! हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा। हम बदलेंगे-युग बदलेगा !! सावधान! युग बदल रहा है। सावधान। नया युग आ रहा है। इक्कीसवीं सदी- उज्ज्वल भविष्य।
🏳️ध्यान से पढ़ियेगा👇 〰️〰️〰️〰️〰️ एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म...
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